Menu
blogid : 25705 postid : 1333507

पिंजरे का तोता

antarman ki faramaaish
antarman ki faramaaish
  • 3 Posts
  • 1 Comment

चोंच है मेरी लाल लाल
और पंख हैं मेरे हरे
आज बताता हूँ मैं तुमको
जख्म हैं कितने गहरे ।

सुन्दरता ही मेरी दुश्मन
निज किस्मत पर रोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

पेड़ के कोटर में ही मेरी
दुनिया से पहचान हुयी
बिता बचपन हुआ बड़ा मैं
हर मुश्किल आसान हुयी ।

स्वच्छ गगन में विचरण करता
हरियाली में सोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

कलरव करता पेड़ों पर के
तरह तरह फल खाता था
पीकर ठंडा जल झरने का
फुला नहीं समाता था ।

बंधू सखा सब साथ हैं मेरे
एक झुण्ड में होता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

छोटी सी लालच का मैंने
कीमत बड़ा चुकाया है
डाल के दाना जाल बिछाके
मुझको बड़ा फंसाया है ।

लाकर कैद किया पिंजरे में
हालत पर मैं रोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

कैद नहीं थे तुम फिर भी
सबने इतनी कुरबानी दी
बहनों ने सुहाग दी तो
लड़कों ने अपनी जवानी दी ।

आजादी के जज्बे की मैं
कदर बड़ा ही करता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

जैसे तुमको जान से प्यारी
है अपनी आजादी
कैद करो ना किसी जीव को
सब चाहें आजादी

सब आजाद हों यह सोचूं मैं
जागूँ चाहे सोता हूँ
चुप न रहूँगा आज कहूँगा
मैं पिंजरे का तोता हूँ ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh